Mysterious Old Women in Hospital

 

           हेल्लो दोस्तो,

           उम्मीद है आप सब जहा कही होंगे ठीक होंगे . 

                            आज कि कहाणी  एक डॉक्टर कि है, जो एक हॉस्पिटल मे काम करते थे, इसी हॉस्पिटल मे ये

 घटना हुई थी. इस घटना के बाद डॉक्टर साहब कि जिंदगी बदल गयी.

 तो चलिये ये कहाणी डॉक्टर साहब कि जुबानी पेश करता हु.

                                 डॉक्टर  साहब केहते है ये कहाणी आज से ८ साल पेहले कि है, उस वक़्त मै एक हॉस्पिटल

 मे काम  करता था. मेरी रात के वक़्त काम कि शिफ्ट थी.  एक रात कि बात है, मुझे चाय पीने कि तलब हुई,  

हॉस्पिटल के छटे माले पे किचन था. तो मै छटे माले पे चला गया,

चाय बनाई ओर चाय का मजा लेने लगा. चाय खतम करके जेसे हि नीचे आने लगा, तो पाचवे माले पे मुझे एक 

औरत  कि दर्द से कराहने कि आवाज आने लगी. मै उस आवाज की तरफ चल पड़ा। जहा से आवाज आ रही थी वो

 एक मानसिक रोगियों का वार्ड था। वहा जाकर देखा तो वहा उस पूरे वार्ड मे एक ही बूढी औरत थी जिनका इलाज

 चल रहा था। उसके अलावा वहा ना कोई सिस्टर थी और ना कोई वाॅर्डबॉय था। मैने जाकर उस बूढी औरत से 

 उनकी परेशानी पूछी और उसके मुताबिक वहा से उन्हे दवाई देदी। और जाते वक़्त कहा कि अगर किसी भी चीज

 की जरूरत हो तो मुझे बता देना। बुढि औरत कहती है की "ठीक है बेटा। वैसे भी यहाँ दिन मे भी कोई जल्दी आता

 नही है। कोई डॉक्टर या नर्स एक या दो चक्कर लगाती है बस।" तो मै फैसला करता हु के मै खुद ही उस बूढ़ी

 औरत का ख्याल रखूँगा। और फिर इसी तरह मै उस औरत के लिए खाना लेकर जाता और उनसे बाते करने

 लगता। मुझे ये सब करके बहुत खुशी मिलती थी। ऐसा लगता के जैसे अपनी माँ का ख्याल रख रहा हु। काम के

 वक़्त के अलावा भी मै उनसे मिलने चला जाता था। एक बार मैने उन बूढ़ी औरत से कहा के मै आपके साथ एक

 सेल्फी लेना चाहता हूँ। उस बूढ़ी औरत ने कहा ठीक है। जब मैने सेल्फी ली तो मुझे उसे देखने का वक़्त नही मिला,

 क्यु की जैसे ही मैने सेल्फी ली मेरे मोबाइल पर इमर्जेंसी कॉल आ गयी, मैने कॉल उठाई तो नीचे एक रोड एक्सीडेंट

 का केस आया था जिसकी वजह से मुझे फौरन नीचे जाना पड़ा। मैने मोबाइल वैसे ही अपनी जेब मे रखा और नीचे

 भागते हुए चला गया। ऐसे ही ८ दिन गुजर गए। ९ वे दिन जब मै उस बुढी औरत से मिलने गया तो वहा कोई नहीं

 था। जिस बेड पे वो थी वो भी खाली था। देखने से ऐसा लग रहा था के कई दिनों से उस वार्ड मे कोई नहीं गया,

 बेड्स पर कोई बेडशीट नही बिछे हुए थे, जो तकिये थे उनपर थोड़ी थोड़ी धूल जमी हुई थी। मैने सोचा की शायद

 उस औरत की तबीयत अच्छी हो गयी होगी तो उसे हॉस्पिटल से छुट्टी मिल गयी होगी। मैने जाके नर्सिंग ऑफिसर

 से पूछा के पिछले ८ दिनों से किस नर्स की ड्यूटी मानसिक वार्ड में लगी हुई थी, तो वो बताता है के उस वार्ड मे

 पिछले एक महीने से कोई भी मरीज नही आया तो वहा किसी नर्स की ड्यूटी क्यु लगाएंगे। ये बात सुनकर तो मेरा

 दिमाग खराब हो गया, मैने उसे बहोत डाँटा के एक औरत आठ दिन से उस वार्ड मे परेशान थी और तुम्हारे पास

 उसका कोई रिकॉर्ड भी नही है। मै वहा से सीधा मेडिकल ऑफिसर के पास गया और उसे उस बूढ़ी औरत का

 नाम और बाकी जानकारी दी और उससे कहा की मुझे इस औरत कि फाइल चाहिए रिकॉर्ड मे चेक करके दे। जब

 वो मेडिकल ऑफिसर रिकॉर्ड देखता है तो कहता है के इस नाम का जो मरीज था वो 9 साल पहले आया था उसके

 बाद इस नाम का कोई भी मरीज यहाँ आया ही नहीं। ये सुनकर तो मुझे झटका लगा के अगर ऐसा कोई मरीज

 आया ही नही तो फिर वो औरत कौन थी जिसकी मै देखभाल कर रहा था? 

  


                  उस 9 साल पुराने केस की जानकारी ली जिसमे ये था के 9 साल पहले एक लड़का उस औरत को वहा

हॉस्पिटल में छोड़ के चला गया था। और उसके बाद फिर कभी वापस नही आया। उस औरत का इलाज करने के

 बाद उसे हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई उसके बाद से उस औरत की कोई खबर नही। 


मैने उस मेडिकल ऑफिसर से उस लड़के का पता मालूम किया, और मै वहा चला गया। वहा जाकर देखा तो वो जो

 लड़का था उसकी भी काफी उम्र हो चुकी थी। घर के अंदर जाने के बाद सरकारी सर्वे का बहाना देकर पूछताछ

 करने लगा के घर मे कौन कौन है, कोई बुजुर्ग है या नही है। बात करते हुए मेरी नजर उस लड़के के पीछे दीवार

 पर टंगी हुई एक तस्वीर पे पड़ी। ये उसी औरत की तस्वीर थी जिसकी देखभाल मै हॉस्पिटल में करता था। उस

 तस्वीर पर हार चढ़ा हुआ था। तो मैने उस लड़के से पूछा के इनकी मृत्यु कब और कैसे हुई? तो वो बेटा बताता है

 के "हम 2 भाई है, बड़ा भाई जो था वो माँ को अपने साथ नही रखना चाह रहा था। और मेरी हालत ऐसी नही थी के

 माँ के खर्चे उठा सकूँ, मैने कुछ दिनों तक मां को संभाला और एक दिन हॉस्पिटल छोड़ आया। उसके बाद मै कभी

 मां को देखने नही गया।"


                   ये बात सुनकर मुझे बहोत गुस्सा आया, लेकिन मैने अपने गुस्से पर काबू रखा और उससे पूछा की इस

 घर के अलावा कही और भी घर है जहा पर तुम पहले रहते थे। तो वो बताता है की हाँ है। मै उस घर का पता लेकर

 उस पते पर निकल पड़ता हु। जो किसी दूसरे राज्य मे था। मै 2 दिन बाद उस पते पर पहुँचता हुं। वो पता एक गांव

 का था।  मै रात के वक़्त वह पंहुचा, तब तक पूरा गांव सुनसान हो चूका था।  गांव के सब लोग सो चुके थे।  अब

 समझ में नहीं आ रहा था के यहाँ किससे पुछू।  इतने में मुझे एक छोटा बच्चा  नजर आता है जो बाल्टी में पानी

 लेकर जा रहा था।  वो मुझसे पूछता है के "आप कौन है और इस वक़्त यहाँ क्या कर रहे है? " मेने कहा "मुझे किसी

 की तलाश है,  किसीसे मिलना है। " बच्चा कहता है, " इतनी रात को आपको यहाँ कोई नहीं मिलेगा, आप ऐसा

 करे मेरे घर चले, वह रात भर रुकिएगा और सुबह होते ही जिसे तलाश कर रहे है उन्हें ढूंढ लीजियेगा।"

तो मै उस बच्चे क साथ उसके घर चला जाता हु।  उस बच्चे के घर में सिर्फ उसकी माँ और वो बच्चा दोनों ही रहते

 थे। उस बच्चे की माँ बच्चे से मेरे बारे में पूछती है, बच्चा कहता है " माँ ये मुझे गांव में रात क वक़्त परेशान नजर

 आये, रात में बाहर जंगली जानवरो का भी डर है, यहाँ ये किसीको ढूंढने क लिए आये है, रात भर कहा रुकते,

 इसीलिए मै इन्हे यहाँ ले आया। सुबह होते ही वो चले जायेंगे। " फिर उस बच्चे  की माँ ने मुझे  रुकने की इजाज़त

 देदी और खाना भी खिलाया।  सोने के लिए एक छोटा सा कमरा दिया।  जब सुबह मेरी आँख खुली तो मेने देखा की

 मै जहा सोया हुआ था वो जगह एक खंडर थी।  मतलब वहा कोई घर नहीं था।  आस पास के सभी घर खंडर थे।

  मै परेशान हुआ समझ में नहीं आ रहा था के ये  हो क्या रहा है।  खैर मै पता ढूंढ़ते ढूंढते शाम होने के करीब बस

 स्टैंड क पास पहुंच जाता हु।  वहा मुझे वक बूढ़ा नजर आता है वो पूछते है के " क्या हुआ बेटा, कौन हो, यहाँ के तो

 नहीं लगते। " मेने कहा के मै एक बूढी औरत के तलाश में आया था, उन्ही को ढूंढ रहा हु।"  तो वो बूढ़ा आदमी

 पूछता है के "कोई तस्वीर है तुम्हारे पास जिसे ढूंढ रहे हो? शायद मै कुछ मदद कर दू। " मेने उस बूढी औरत के 

 बेटे घर में हार चढ़ी हुवी बूढी औरत की तस्वीर अपने मोबाइल में ली हुई थी।  लेकिन मुझे उस वक़्त उस सेल्फी की

 याद आयी जो मेने हॉस्पिटल में उस औरत के साथ ली हुवी थी।  मेने फ़ौरन अपना मोबाइल निकला और वो तस्वीर

 देखने लगा और क्या देखता हु के उस तस्वीर में वो बूढी औरत है ही नहीं, उसमे सिर्फ मै नजर आ रह हु, ये

 देखकर तो मुझे डर सा लगा।  फिर मेने उस बूढ़े आदमी को वो हार चढ़ी हुई तस्वीर दिखाई।  तो वो बूढ़ा तस्वीर

 देखकर पहचान गया।  और बताने लगा के " ये औरत इसी गांव की है, इसका नाम मीरा है, और ये हमारे पड़ोस में

 रहा करती थी, जब मेरी उम्र ३५ साल की थी तब ये औरत गांव छोड़के चली गयी थी उस वक़्त उस औरत की उम्र

 लगभग ६५ साल होगी।" इससे आगे कुछ पता नहीं चला।

मै वापस अपने शहर आ गया अपना  हॉस्पिटल का

 काम करने।  क्यू के मेरी छुट्टी ख़तम होने वाली थी।  २ दिन बाद मै वापस आया और रात में सो गया।  सोने के बाद

 मुझे ख्वाब आया, ख्वाब में वही बूढी औरत थी जिसकी मेने हॉस्पिटल में देखभाल की थी। वो ख्वाब में कहती है के 

 " बेटा तेरा बहोत बहोत शुक्रिया के तूने ८ दिन तक मेरी देखभाल की, मुझे इतना प्यार दिया।  मेरी पूरी जिंदगी में

 मुझे ना मेरे पति ने प्यार दिया ना मेरे बेटो ने मेरी कदर की, लेकिन एक अनजान होने क बावजूद तूने मुझ बूढी

 औरत का ख्याल रखा।  जिस प्यार की मुझे तलाश थी वो मुझे तुझसे मिला। जिस वजह से मै इस दुनिया में रुकी

 हुई थी अब वो पूरी हुई, अब मै आज़ाद हु।" ये सब सुनकर मेरी आँखों में आंसू आने लगे, वो औरत मेरी और

 देखकर कहने लगी," बेटा अब मै अपनी दुनिया में जा रही हु, लेकिन जाते जाते ये दुआ देती हु के  आजसे तेरे हाथ

 में ऐसी शक्ति होगी के जिस मरीज का तू इलाज करेगा वो अपनी बीमारी से ठीक हो जायेगा।  और वो पूरी जिंदगी

 तुझे दुआ देगा।" इतना कह कर वो औरत चली गयी और मेरी आँख खुल गयी।  


                उस औरत की दुआ आज मुझे बहोत काम आती है, मेरे हाथो मुश्किल से मुश्किल मरीज भी ठीक होकर

 घर जाता है और जाते हुवे दुआए देकर जाता है।  


                         तो दोस्तों ये थी आजकी एक इमोशनल हॉरर कहानी।  जिससे ये भी सिखने को मिला के अपने

 माँ-बाप का ख्याल रखना हमारी जिम्मेदारी है।  माँ-बाप की दुआए ही है जिसकी वजह से हम तरक्की कर पाते है। 

 उम्मीद है ये कहानी आपको पसंद आयी होगी।  मिलते है फिर किसी नयी कहानी के साथ।  


अपना बहोत सा ख्याल रखियेगा।  

अलविदा।  

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