कमरा नंबर ३३

   हॉरर @ नाइट में आपका स्वागत है, उम्मीद है आप सब ठीक होंगे, और खुश होंगे। 


               चलिए आजकी कहानी की शुरुआत करते है. आजकी कहानी हमें एक भाई ने भेजी है,

 जिनका नाम आदर्श है. तो इनकी कहानी इनकी ही जुबानी पेश करता हु. 

         " मेरा नाम आदर्श है. मै महाराष्ट्र के एक शहर में रहता हु. मेरा अपना कारोबार है, और काम के

 सिलसिले में मुझे एक शहर से दूसरे शहर जाना पड़ता था. एक दफा की बात है मुझे ऐसे ही काम के

 सिलसिले में दूसरे शहर जाना था. मै अपनी तैयारी करके रात में निकल पड़ा. सफर लम्बा था.

 मै अकेला था. रात के तक़रीबन २ बज रहे थे, मै आधे रस्ते तक पहुंच गया था. लेकिन अब मुझे बहोत

 नींद आने लग गयी थी. थकन भी बहोत हो रही थी. मेने सोचा के अब रस्ते में जो भी होटल नजर

 आएगा वहां रुक जाऊंगा और सुबह अपने सफर पे निकल जाऊंगा. आधे घंटे बाद एक होटल नजर

 आया. मेने अपनी गाडी उस होटल के सामने रोक दी. गाडी से सामान निकाला और होटल के अंदर

 चला गया. अंदर जाकर देखा तो अलग ही नजारा था. अंदर होटल बिलकुल शानदार था. मै रिसेप्शन

 पे गया कमरा बुक किया. और वहां से मुझे कमरा नंबर ३३ की चाबी दी गयी. मै चाबी लेकर कमरे की

 तरफ निकला. कमरा तीसरे मंजिल के आखरी कोने में था. मै अपने कमरे की तरफ चलता हुआ जा

 रहा था. तो मुझे किसी की धीरे धीरे बाते करने की आवाज आने लगी. मेने सोचा के होटल है किसी

 कमरे में कोई बाते कर रहा होगा ये सोच कर मै अपने कमरे में चला गया. कमरा बहोत अच्छा था. मेने

 सामान रखा, मुँह हाथ धोया और बिस्तर पे सोने के लिए लेट गया. थोड़ी ही देर में मुझे नींद लग गयी.

 रात में पता नहीं कब जोरदार तूफानी बारिश शुरू हो गयी. तेज़ बिजलिया कड़क रही थी. बादल गरज

 रहे थे, इस तूफान की आवाज से मेरी नींद खुल गयी. मेरे कमरे में अँधेरा था, और बिजली की चमक से

 कमरे में रौशनी होती और फिर अँधेरा होता, ऐसा ही चल रहा था. मै लेटे लेटे खिड़की से बाहर मौसम

 के नज़ारे देख रहा था के अचानक मुझे बिजली की रौशनी में दिवार पे एक इंसानी साया नजर आया

 और कुछ ही सेकण्ड में वो गायब हो गया. मुझे हैरानी हुई, उठकर कमरे में इधर उधर देखा, कुछ

 भी नहीं था. 



वहम समझ कर फिर से बिस्तर पे आके लेट गया. कुछ मिनट ही गुजरे थे की कमरे की

 अलमारी से खटखटाने की आवाज आयी, उठकर फ़ौरन अलमारी खोली तो वहां भी कोई नहीं था. मेने

 सोचा के यहाँ और भी कमरे है तो शायद किसी और कमरे से आवाज आयी होगी या कोई बच्चा

 शरारत में दरवाजा बजा रहा होगा. मेने दरवाजा खोल के जैसे ही बाहर देखा तो एक औरत कमरे से

 दूर जाती हुई नजर आयी. मुझे लगा के गलती से मेरे कमरे को अपना कमरा समझ के खटखटाया

 होगा और जब अपनी गलती समझ में आयी तो फिर अपने कमरे की तरफ चली गई होगी. मेने भी

 बिना उसे कुछ पूछे दरवाजा बंद किया और अंदर आकर बिस्तर पे लेटा. अलमारी की तरफ अपना

 चेहरा करके लेटा हुआ था. मुझे ऐसा लग रहा था के मेरे कमरे में कोई है. ऐसा लग रहा था के कोई मेरे

 पीछे ही खड़ा है. कुछ ही देर में फिर से अलमारी से जोर से खटखटाने की आवाज आयी. मै

 घबराकर उठकर बैठ गया. जैसे ही उठकर बैठा तो मेरे बाथरूम का दरवाजा डरावनी आवाज के

 साथ अपने आप खुलने लगा. और जैसे ही दरवाजा खुला तो उस बाथरूम में से मेने एक औरत को

 झाकते हुवे देखा. मै और ज्यादा डर गया. मुझे यही लगा के शायद थकन की वजह से मुझे वहम हो

 रहे है. मेने खुदको तसल्ली दी के कुछ भी नहीं है, और में सोने की कोशिश करने लगा. कुछ मिनट ही

 गुजरे की अलमारी का दरवाजा अपने आप खुलने लगा. और मुझे एक औरत मेरी तरफ आते

 हुवे नजर आयी. जो बहोत तेज़ी से चल रही थी. ऐसा लगा के जैसे वो बहोत गुस्से में है. उसका  चेहरा

 साफ़ नजर नहीं आ रहा था लेकिन जितना दिखा उससे पता चल रहा था के चेहरा जला हुवा है, उसके

 बाल आधे चेहरे पर लटक रहे थे, और वो गुर्राते हुवे मेरी तरफ बढ़ रही थी. 



उसे देखकर मेरी

 आवाज भी नहीं निकल रही थी. वो मंजर बहोत खौफनाक था. मुझे जो कुछ पढ़ना आता था मै पढ़ने

 लगा और भागते हुवे कमरे से बाहर निकला और निचे रिसेप्शन पे जा पंहुचा. वहां देखा तो जिसने मुझे

 कमरे की चाबी दी थी वो नहीं था, कोई दूसरा शख्स वहां पर था. मेरी घबराई हुई हालत देख कर वो

 भी हैराण ओर परेशान हो गया. मेने उसे सारी बात बताई तो वो पूछने

 लगा के आपको वो कमरा किसने दिया? उस कमरे में किसी को भी जाने की इजाजत नहीं है. मेने

 कहा के आपके ही बन्दे ने मुझे वो कमरा दिया है. पता चला के जिसने मुझे वो कमरा दिया था वो उस

 होटल में नया था और उसे पता नहीं था के वो कमरा किसी को भी नहीं दिया जाता. खैर मुझे दूसरा

 कमरा दिया गया. अब सुबह के ४ बज चुके थे. इस हादसे के बाद नींद कहा आनी थी. जैसे तैसे दिन

 निकलने का इंतजार किया. जैसे ही सुबह हुई मै अपना सामान लेकर निकला और होटल के बाहर ही

 मुझे होटल के मालिक मिल गए. उनको रात के हादसे की खबर हो गयी थी. उन्होंने मुझसे माफ़ी

 मांगी और मुझे उस कमरे की हकीकत बताई. उन्होंने बताया के वो कमरा तक़रीबन १०-११ साल से

 बंद है. उस कमरे में एक औरत को जला कर मार दिया गया था. इस हादसे के बाद से कोई भी उस

 कमरे में नहीं रह पाया. जो भी वहां रहता उसे वहां खौफनाक चीज़ो का सामना करना पड़ता. तो फिर

 वो कमरा हमेशा के लिए बंद करना पड़ा. 


           बस फिर मै वहां से अपने सफर पे निकल गया. 


         तो दोस्तों ये थी आजकी खौफनाक कहानी।  उम्मीद है आपको अच्छी लगी होगी।  अच्छी लगे तो

 लाइक का बटन दबा देना।  इससे हमें प्रेरणा मिलेगी।  और मैं आपके लिए ऐसी ही स्टोरीज लाता

 रहूँगा। 


बहोत बहोत धन्यवाद! अपना बहोत सा ख्याल रखियेगा। मिलते है फिर किसी नयी खौफनाक कहानी

 में।  

तब तक लिए खुदा हाफिज, अलविदा !!!

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