हेलो दोस्तों,
हॉरर @ नाइट
में आपका स्वागत है, उम्मीद है आप सब ठीक होंगे, और
खुश होंगे।
चलिए आज की कहानी का आगाज करते है। आजकी कहानी
हमें एक साहब ने भेजी है जिनका नाम अर्जुन है। तो इनकी कहानी इनकी
ही जुबानी पेश करता हु।
" मेरा नाम अर्जुन है। मैं एक दवाई बनाने वाली कंपनी में मैनेजर
का काम करता हु। काम के सिलसिले में मुझे अक्सर शहर से बाहर जाना
पड़ता है। एक दफा मेने अपने साथ काम करने वाले दोस्त जिसका नाम
नविन है, उसे काम के सिलसिले में दूसरे शहर जाने को कहा। उसके
मुताबिक वो दूसरे शहर चला गया। लेकिन दूसरे ही दिन उसकी कॉल आयी
के वो दूसरे शहर से वापस आ गया है और जिस काम के लिए गया था वो
भी नहीं हो पाया। मुझे नविन का बड़ा गुस्सा आया के ये क्या बात हुई के
काम किये बिना ही वापस चल आया। अगले दिन मेरी उसके साथ ऑफिस
में मुलाक़ात हुई। मेने उससे काम न होने की वजह पूछी तो उसने एक
अजीब किस्सा बताया।
नविन कहता है के " मैं जिस दिन दूसरे शहर गया, वो दिन तो
पूरा काम में गुजर गया। रात हुई तो मुझे होटल में रुकने की जरुरत पड़ी।
मेने शहर के कई होटल्स में जाकर देखा लेकिन किसी भी होटल में कोई
कमरा खाली नहीं था। बहोत घूमने के बाद शहर से थोड़ा बाहर एक पुराना
होटल नजर आया। वहां गया, रिसेप्शन पे एक लड़का था उससे कमरे के बारे
में पूछा। उसने भी यही कहा के कोई कमरा खाली नहीं है। मैं बहोत परेशान
हो गया। उस लड़के से बहोत मिन्नत की कमरे के लिए। बहोत देर तक
तो वो नहीं माना, फिर मेरे बहोत मनाने पर उसने कहा के "एक रूम है
लेकिन वो ज्यादा इस्तेमाल में न होने की वजह से थोड़ा ख़राब है।" मेने
कहा के "कोई बात नहीं। थोड़ी सफाई करवा कर उसे रहने लायक बना दो,
मुझे बस रात गुजारनी है, सुबह होते ही मैं चला जाऊंगा।" फिर उस लड़के ने
एक शख्स को भेजा, रूम की सफाई करवाई, वहां एक छोटा टीवी रखवाया,
बिस्तर और बेड को साफ़ किया और रूम मुझे दे दिया। वो रूम उस होटल
के दूसरे मंजिल पर २ नंबर का था। मैं रूम में गया, हाथ मुँह धोकर बेड
पर आके लेट गया, थोड़ी देर बाद मुझे नींद लग गयी। अचानक रात को
दरवाजा खटखटाने की आवाज आयी। जिसकी वजह से मेरी आँख खुल
गयी। फिर मुझे लगा के मेरा वहम है, मेने फिर से सोने की कोशिश की
लेकिन फिर से दरवाजे के खटखटाने की आवाज आयी। मैं उठकर बैठ गया
और सोचने लगा के इतने रात को कौन है जो दरवाजा बजा रहा है। मैं
दरवाजे के पास गया और आवाज दी के कौन है ? लेकिन कोई आवाज नहीं
आयी। मैं फिर बेड पे आके बैठ गया, फिर से दरवाजे के बजने की आवाज
आयी। मैं झटसे गया और दरवाजा खोला तो बाहर कोई भी नहीं था। मैं
थोड़ा डर गया। मेने दरवाजा बंद किया और बेड की तरफ बढ़ा के फिर से
दरवाजा बजा, मेने फिर दरवाजा खोला तो बाहर कोई भी नहीं। अब मेरी
हालत और ज्यादा ख़राब होने लगी, मेने दरवाजा बंद किया और वही दरवाजे
के पास खड़ा रहा के अब अगर दरवाजे की आवाज आये तो फ़ौरन दरवाजा
खोल दूंगा तो पता चलेगा के कौन है जो दरवाजा बजा रहा है। बस कुछ ही
देर में दरवाजा फिर से बजा और मेने फ़ौरन ही दरवाजा खोला तो बाहर इस
बार भी कोई नहीं था। मैं कमरे के बाहर निकला और इधर उधर देखने
लगा के शायद कोई दरवाजा बजा के भाग रहा हो। मेने अपनी बायीं और
देखा तो वहां कुछ नहीं था, एक हलकी सी लाइट जल रही थी। फिर मेने
अपने दाहिने तरफ देखा तो वहां सीढिया थी जो ऊपर की मंजिल की तरफ
जा रही थी। और उधर कुछ अँधेरा था। उस अँधेरे में मुझे एक बच्चा
भागता हुआ नजर आया। मेने उसे देखते ही आवाज दी के रुको। उस
बच्चे ने भागते हुवे पीछे मुड़कर मेरी तरफ देखा, और ऐसा देखा के उसने
अपनी गर्दन पूरी पीछे पीठ के तरफ घुमा ली और एक अजीब सी डरावनी
मुस्कराहट देकर गायब हो गया। एक आम बच्चे के लिए या आदमी के
लिए इस तरह गर्दन पूरी तरह घुमा देना नामुमकिन है। मैं बहोत ज्यादा
डर गया और कमरे में भाग आया और दरवाजा बंद करके बैठ गया। मुझे
कुछ समझ नहीं आ रहा था के क्या किया जाये, रात में होटल छोड़ भी नहीं
सकता था क्यू के बाहर कोई गाडी भी नहीं मिलेगी जो शहर में छोड़ दे।
मेने डरते डरते रात गुजारी, रात भर दरवाजा ऐसे ही बजता रहा। मुझे
नींद बिलकुल भी नहीं आयी। सुबह होते ही मेने अपना सामान उठाया,
कमरे का किराया दिया, और उस होटल से भाग खड़ा हुआ। मुझे नहीं पता वो
बच्चा कौन था क्या था। लेकिन जो भी था बहोत खौफनाक था।"
अब नविन की ये बाते सुनके तो मुझे हसी भी आयी और
गुस्सा भी आया के ये नविन काम ना करने के बहाने बना रहा है। मुझे
बिलकुल भी उसकी बातो पे यकीन नहीं आया। मेने नविन का उस दिन का
जो खर्चा था जो कंपनी देती है वो भी नहीं दिया। उसने भी कहा के ठीक है
ना दो खर्चा। खैर २-३ हफ्ते गुजर गए। फिर मुझे कुछ काम से उसी शहर
जाना पड़ गया जहा नविन गया था। मेने नविन को साथ ले लिया और
उस शहर चला गया। दिन भर में काम ख़तम किया, अब रात हो गयी।
होटल चाहिए था रुकने के लिए। मेने जानबूझकर अपनी गाडी उसी होटल
की तरफ लेली जहा नविन रुका था। नविन ने जब अपना किस्सा सुनाया
था तब उसने होटल का पता भी बताया था। तो हम वहां पहुंचे। नविन
उस होटल को देखकर कापने लगा, उसकी हालत अजीब होने लगी, डर के
मारे उसे पसीने आने लगे। मैं रिसेप्शन पे गया और वहां के लड़के से कहा
के " मुझे दूसरी मंजिल वाला २ नंबर का कमरा चाहिए।" ये बात सुनते ही
वो लड़का मेरी तरफ हैरत से देखने लगा और कहने लगा के आपको वही
कमरा क्यू चाहिए? मेने कहा बस ऐसे ही। तो उस लड़के ने माना कर दिया
के वो कमरा मैं आपको नहीं दे सकता। मेने उसे ज्यादा पैसे देने का
लालच दिया तो फिर वो मान गया और एक आदमी भेजकर कमरा साफ़
करवाया और हमें दे दिया। मैं चाबी लेकर कमरे की तरफ निकला तो देखा
के नविन कही नजर नहीं आ रहा। मैं होटल के बाहर उसी ढूंढते हुवे गया
तो वो बाहर खड़ा था। मेने उसे अंदर आने को कहा तो उसने मना कर
दिया और कहने लगा के "मैं इस होटल में एक रात तो क्या एक मिनट भी
नहीं रुकने वाला। तुझे रुकना है तो रुक एक रात क्या १० राते रुक ले
लेकिन मैं नहीं रुकने वाला यहाँ। मेरी बात मान और यहाँ से चल ये जगह
ठीक नहीं है।"
मेने कहा के आज रुकना तो यही है। नविन ये सुनते ही वहां
से गुस्से से चला गया। मैं अपने कमरे में आया और मुँह हाथ धोकर बेड
पर आकर लेट गया। अब मुझे सोना तो नहीं था वो इसलिए के मैं देखना
चाहता था के नविन ने जो किस्सा मुझे बताया था उसमे कितनी सच्चाई
है? क्या सचमे यहाँ ऐसा होता है? दरवाजा बजता है? यही सोचते हुवे मैं कुछ
देर लेटा रहा के अचानक दरवाजा बजा। अब मैं भी हैरान के यार दरवाजा
तो सच में बजा है, लेकिन वक़्त ज्यादा नहीं हुआ था ८-९ बजे का वक़्त था।
दरवाजा फिर बजा, मेने दरवाजा खोला तो सामने नविन खड़ा था, हाथ में
खाने के पैकेट थे। मुझसे कहने लगा के "मैं तुझे यहाँ ऐसे अकेले नहीं छोड़
सकता, इसलिए वापस आया हु।" फिर हमने खाना खाया। खाना खाने के
बाद नविन तो सो गया लेकिन मैं जाग रहा था और दरवाजा बजने का
इंतजार कर रहा था। कुछ देर गुजरी ही थी के मुझे पायल बजने की
आवाज आने लगी, फिर वो आवाज बंद हुई और ऐसी आवाज आने लगी के
जैसे कोई लकड़ी को ठोक रहा हो, फिर ये आवाज भी रुकी और किसी के
फुसफुसाने की आवाज आने लगी जैसे कोई धीरे धीरे बात कर रहा हो। रात
के तक़रीबन १२-१ का वक़्त था। बहोत देर तक ये आवाजे ऐसी ही बदल
बदल कर आती ही रही, मेने तंग आकर दरवाजा खोला और बाहर आया।
बाहर आकर देखा तो बाहर कुछ भी नहीं। एक तरफ हलकी सी लाइट जल
रही थी वहां कुछ नहीं और दूसरी तरफ सीढिया थी जो ऊपर की तरफ जा
रही थी। वहां कुछ अँधेरा था। उस अँधेरे में मुझे सीढ़ियों के करीब एक
जानवर की तरह कोई चीज़ खड़ी नजर आयी, उसकी आँखे अँधेरे में ऐसी
चमक रही थी जैसे लाल अंगारा हो। और वो चीज़ मेरी ही तरफ देख रही
थी। देखने में तो किसी भेड़ (मेंढा) की तरह था। उसके बड़े बड़े सिंग थे,
जिस्म पर बहोत सारे बाल, लम्बी लम्बी टाँगे थी। एक आम भेड़ से वो
काफी बड़ा था। ऐसा भेड़ मेने आजतक नहीं देखा था। उस अँधेरे में वो
मुझे बिलकुल काले साये की तरह दिख रहा था। वहां मुझे जंजीर के बजने
की आवाज आ रही थी, मेने गौर से देखा तो उस भेड़ गले में वो जंजीर बंधी
हुई थी। मेने उसे देखा लेकिन ना तो डरा और ना ही वहां से भागा। मैं
वही खड़ा रहा और उस भेड़ को भगाने की कोशिश करने लगा। वहां एक
लकड़ी का टुकड़ा पड़ा हुआ था मेने वो उठाया और उस भेड़ की तरफ फेका।
ये देखकर वो भेड़ गुस्से में आ गया। अपने खुरो को जमीन से घसीटने
लगा और गुर्राते हुवे मेरी तरफ धीरे धीरे बढ़ने लगा। उसकी आवाज इतनी
भयानक थी के डर के मारे मेरी आवाज बंद हो गयी, मैं चिल्लाने की कोशिश
कर रहा था लेकिन आवाज ही नहीं निकल रही थी, वो भेड़ मेरी तरफ बढ़
रहा था और जैसे जैसे मेरी तरफ बढ़ रहा था उसकी लम्बाई बढ़ती ही जा
रही थी। देखते देखते वो ७ से ८ फ़ीट तक लम्बा हो गया। ये देखकर तो
मेरे पसीने छूट गए। मैं भागने की कोशिश कर रहा था लेकिन भाग नहीं
पा रहा था, ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने मेरे पैरो को बांध रखा हो। मेरे
सामने मुझे मौत नजर आ रही थी। जैसे ही वो भेड़ मुझपे हमला करने
लगा मेने अपनी आँखे बंद की और भगवान का नाम जोर जोर से लेना शुरू
कर दिया। फिर मुझे वो गुर्राने की आवाज आना बंद हो गई और भागने
की आवाज आयी। मेने जैसे ही आँखे खोली तो सामने कुछ भी नहीं था।
वो भेड़ गायब हो चूका था। मैं फ़ौरन अपने कमरे में भागा और दरवाजा
बंद करके बेड पर बैठा रहा। ना जाने मेरी कब आँख लगी। सुबह नविन
ने मुझे जगाया। और फिर हम कमरे का किराया देने रिसेप्शन पर गए।
वो रिसेप्शन वाला लड़का और बाकी स्टाफ हैरत से हमारी तरफ देख रहे थे।
उस लड़के ने मुझसे पूछा के साहब आपको रातको कोई दिक्कत परेशानी
तो नहीं हुई? मेने उसे कोई जवाब नहीं दिया लेकिन मेरी आँखों में डर और
खौफ उसने साफ़ देख लिया था और मुझे भी लगा के वो लड़का और होटल
का स्टाफ सब जानता था के वहां कोई खौफनाक चीज़ है जो अक्सर लोगो
को डराती है। फिर हम वहां से निकल गए। घर आने तक मेने नविन को
कुछ नहीं बताया। वो रास्ते से पूछता रहा की क्या बात है? लेकिन मैं कुछ
नहीं बोल रहा था। घर आने के बाद मुझे बहोत बुखार चढ़ गया। एक
हफ्ते तक मैं ऑफिस नहीं गया। एक बाबाजी के पास गया और उनसे सारी
बात कही और उनसे अपना इलाज करवाया क्यू के मुझे उस एक हफ्ते में
डरावने सपने आते थे, अजीब अजीब आवाजे आती थी, मैं ठीक से सो नहीं
पाता था , रात को चिल्लाने लगता था। बाबाजी ने मुझे बताया के जिस
कमरे में हम रुके थे वहां किसी आत्मा का साया है और वहां उस कमरे में
किसी को रहने नहीं देती। जो भी वहां रुकता है उसे वहां से डरा के भगा
देती है।
फिर एक हफ्ते बाद मेने नविन को अपना किस्सा सुनाया।
क्यू के जब वो घटना हुई उस वक़्त नविन इस तरह सो रहा था के उसे
बाहर की कोई खबर ही नहीं थी। जब मेने उसे ये किस्सा बताया तो पहले
तो उसके चेहरे का रंग उड़ गया और फिर जोर जोर से हसने लगा और
कहने लगा के देखा मेने कहा था ना। तब तो मेरी बात नहीं मानी। और
तुम इतने पागल हो के सच्चाई जानने के लिए सीधा कुवे में कूद पड़े।
वाह !" ये सुनकर मैं भी बहोत हँसा। ये मेरी ज़िन्दगी का सबसे भयानक
हादसा था जिसे मैं कभी नहीं भूल
सकता।
तो दोस्तों ये थी आजकी खौफनाक कहानी। उम्मीद है आपको
अच्छी लगी होगी। अच्छी लगे तो लाइक का बटन दबा देना। इससे हमें
प्रेरणा मिलेगी। और मैं आपके लिए ऐसी ही स्टोरीज लाता रहूँगा।
बहोत बहोत धन्यवाद ! अपना बहोत सा ख्याल रखियेगा। मिलते है फिर
किसी नयी
खौफनाक कहानी में। तब तक लिए खुदा हाफिज, अलविदा
!!!
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