भूतिया पेड के खौफनाक जिन्नात

     

हेलो दोस्तों,

 

 

              हॉरर @ नाइट में आपका स्वागत है, उम्मीद

 है आप सब ठीक होंगे, और खुश होंगे। 

 

             चलिए आज की कहानी शुरू करते है।

आजकी कहानी हमे एक भाई ने भेजी है, जो अमेरिका के

एक शहर में रहते है, ये कहानी उनकी ही जुबानी कहानी बताते है। 

 

               मेरा नाम आमिर है, मै कॉलेज स्टूडेंट हु।

  ये कहानी ३ साल पुरानी है, हमने शहर के घर से दूसरे घर

में शिफ्ट किया था।  वो घर शहर से बाहर था।  शिफ्ट होने

के बाद कुछ दिन अच्छे गुजरे।  मेरे कॉलेज की छुट्टिया थी।

मेरा घर में दिल नहीं लग रहा था।  तो मेने घर के बाहर जो

गार्डन की जगह थी वहां पेड़ पौधे लगाने का काम शुरू किया।

उस गार्डन के बिच में ही एक पुराना पेड़ था जो बहोत बड़ा

था।  उस पेड़ की वजह से वह गार्डन अच्छा नहीं लग रहा

था, वो पेड़ उस गार्डन की खूबसूरती में रुकावट डाल रहा था।

मेने हमारे माली से कहा के २-३ लोग साथ में ले आना और

इस पेड़ को काट देना।  अगले दिन माली २ लोग लेके आया

और वो पेड़ काट दिया। 

 

      जिस दिन पेड़ काटा उसी रात मुझे १२ बजे के करीब

मुझे किसी के रोने की आवाज आने लगी। मुझे लगा के कोई

बिल्ली रो रही है, लेकिन  मेने गौर से सुना तो वो आवाज

एक लड़की की थी।  मै देखने के लिए बाहर जाने लगा तो

मेरी माँ ने मुझे रोक लिया।  मेरी माँ और बहने भी वो रोने

की आवाज सुनकर जाग गयी थी।  फिर मेरे पिताजी और में

हिम्मत करके बाहर गए।  दरवाजा खोला तो आगे कार

पार्किंग थी, कार पार्किंग में पहुंचे तो आवाज बाहर से आ रही

थी, आवाज इतनी साफ़ और तेज थी के लग रहा था जैसे वो

लड़की दरवाजे के बाहर ही हो, जैसे ही दरवाजा खोला तो

सामने कोई भी नहीं था, और वो रोने की आवाज भी बंद हो

गयी।  पिताजी और मै एक दूसरे को देखने लगे।  पिताजी ने

मुझसे कहा के अंदर जाकर यही कहना के बिल्ली थी ताके

मेरी माँ और बहने डर न जाए।  फिर हम अंदर आ गये, और

घर में यही कहा के बिल्ली ही थी, और उसे भगा दिया है।

अगली सुबह मै गार्डन में गया तो देखा की पुरे गार्डन में

कोयले बिखरे पड़े हुवे है, मेरे समझ में ना आये के इतने सारे

कोयले यहाँ आये कहा से ? आस पास तो कोई नहीं रहता है

मेने माली से कहके पूरा गार्डन साफ़ करवाया।  दूसरी रात १२

बजे के करीब फिर से लड़की की रोने की आवाज आने लगी।

घर के सब लोग फिर आवाज सुनकर जाग गए। रोने की

आवाज के साथ साथ एक और अजीब सी आवाज आ रही थी

जैसे कोई गुस्से से कह रहा हो के "हम तुम्हे नहीं छोड़ेंगे"।

इस बार मै घर से बाहर नहीं निकला।  हमने पुलिस को कॉल

कर दी, क्यों के डर था के कही कोई चोर डाकू ही ना हो जो

हमें डरा रहे हो।  पुलिस आयी और उन्होंने आस पास का पूरा

इलाका देखा लेकिन कोई नहीं मिला।  पुलिस ने हमसे कहा

के आपका वहम होगा, आस पास कुछ भी नहीं है।  ये कहकर

पुलिस चली गयी। अगली सुबह हम सब इस बात पे गौर कर

रहे थे के आवाज किसकी थी लेकिन कोई भी सही अंदाजा

नहीं लगा पाए।  खैर नाश्ता करके मै फिर गार्डन में गया तो

देखा एक काली बिल्ली उसी जगह बैठी है जहा वो पेड़ था।

वो मुझे बहोत ही गुस्से से घूर रही थी। मुझे उसे

देखकर खौफ आ रहा था, मेने उसे भगाने के लिए अपना पैर

जमीं पर मारा तो वो बिल्ली भागने के बजाये मुझे देखके

गुर्राने लगी और ऐसा लगा जैसे मेरे ऊपर हमला करने वाली

हो, मेने उसे भगाने के लिए छोटा सा पत्थर उठाया और

उसकी तरफ फेका तो वो मुझपर झपटने के लिए आगे आयी।

मै डर क मारे पीछे हटा, मेरे पीछे हटते ही वो बिल्ली फिर

उस पेड़ की जगह जाके बैठ गयी।  ऐसा बहोत देर तक

चलता रहा लेकिन बिल्ली वहां से जाने का नाम नहीं ले रही

थी, ये सब चल ही रहा था के हमारा माली आ गया, मेने माली

से कहा के पहले इस काली बिल्ली को यह से भगाओ, माली

बोला के कोनसी बिल्ली? मेने जैसे ही उस तरफ देखा तो

बिल्ली वहां से गायब हो चुकी थी।  बिल्ली का ये रवैया मुझे

बहोत अजीब लगा, क्यों के पालतू बिल्लियों का रवैय्या ऐसा

नहीं होता।  खैर रात हुई हम सब घरवाले डरे सहमे हुवे के

पता नहीं आज रात क्या होता है।  सब घरवाले डर के वजह

से एक ही कमरे में लेटे हुवे थे।  रात के करीब १ बजे के

करीब मुझे ऐसी आवाज आयी जैसे किसीने जोर से दरवाजा

बंद किया है, मै उठ के बैठ गया और गौर से सुनने लगा।

तभी मुझे लगा के हमारे साथ वाले कमरे में कोई है, जैसे

कोई पैर पटक के चल रहा है, सामान इधर उधर फेक रहा है।

पुरे घर में चलने की आवाजे आ रही थी, ऐसा लग रहा था के

४-५ लोग घर में है और घर में उथल पुथल मचा रखी है।

पिताजी ने फ़ौरन पुलिस को कॉल करदी , थोड़ी देर में पुलिस

आ गयी।  अब मसला ये था के बाहर का दरवाजा खोलेगा

कौन? क्यू के किसी की बाहर जाने की हिम्मत नहीं हो रही

थी।  पिताजी ने पुलिस को कॉल करके कहा के आप कूद के

अंदर आ जाये और मेन दरवाजे का ताला तोड़ दे।  पुलिस ने

ऐसा ही किया , जैसे ही मेन दरवाजे का ताला तोडा तो घर

का सिक्योरिटी अलार्म बजने लगा।  जिसका मतलब था

अलार्म एक्टिव था।  पुलिस ने पूरा घर तलाश किया लेकिन

घर में कोई नहीं मिला।  पुलिस ने फिर तसल्ली दी के घर में

कोई नहीं है कोई बिल्ली होगी जिसकी वजह से आप डर गये

है।  पुलिस फिर चली गयी। 


अगले दिन पुलिस से मेरे

पिताजी ने एक सिक्योरिटी गार्ड देने की विनती की, पुलिस ने

एक गार्ड हमारे घर भेज दिया।  उसके आने से हमें कुछ

तसल्ली हो गयी थी।  फिर रात ३ बजे घर की दरवाजे की

बेल जोर जोर से बजने लगी, मेने गार्ड को कॉल की और गार्ड

दरवाजा खोल कर अंदर आ गया। देखते है तो गार्डन में आग

लगी हुई थी, गार्ड ने और हमने उस आग पर पानी डाला और

मुश्किल से आग बुझाई। थोड़ी देर गुजरी सुबह के ४ बज रहे

थे, गार्ड और में थोड़े होश में आये।  मेने गार्ड से पूछा के

तुमने कुछ देखा था क्या? तो गार्ड ने कहा " साहब, रात के

२.५० बजे के करीब मुझे सामने एक औरत खड़ी नजर आयी,

मेने उसे आवाज दी लेकिन वो अपनी जगह पे खड़ी थी।

फिर में आवाजे देते देते उसकी तरफ बढ़ने लगा तो वो उलटे

पाँव पीछे की और चलने लगी, मै उसका पीछा करते करते घर

के दूसरी तरफ गया तो मेरे आँखों के सामने गायब हो गयी।

जब वापस आया तो यहाँ आग लगी हुवी थी। " गार्ड की बाते

सुनकर मै दंग रह गया था क्यू के उसने भी एक औरत को

देखा था, और हमें भी घर में औरत की ही रोने की आवाजे आ

रही थी।  घर में भी अजीब अजीब हादसे होने लगे, घर की

चीज़े गायब होने लगी, मेरी माँ के जेवर जो अलमारी में रखे

हुवे थे वो अलमारी से गायब हो गए।  हमने बहोत तलाश की

लेकिन नहीं मिले। और ४-५ दिन बाद वो जेवर वही अलमारी

के लॉकर में ही पड़े मिले।  एक बार में वाशरूम में मुँह हाथ

धो रहा था के अचानक लाइट बंद हो गयी, और फिर खुद ही

फिर जल गयी लेकिन जैसे लाइट जली तो मुझे सामने के

शीशे में मेरे पीछे कोई औरत का साया खड़ा  नजर आया।

मै डरता हुआ बाहर भागा।  हमारे घर का ऊपर वाला हिस्सा

बहोत काम इस्तेमाल में आता था। लेकिन हम सब घरवालों

ने ये महसूस किया था के ऊपर के हिस्से से किसीके भागने

की आवाज आती थी। फिर छोटे बच्चो के खेलने की और जोर जोर से हसने की भी आवाजे आती थी। एक बार दिन के 

वक़्त मै अपने कमरे में लेटा हुआ था।  अचानक मुझे मेरे

पलंग के निचे से बिल्ली के चीखने की आवाज आने लगी।

मेने निचे झुककर देखा तो वही काली बिल्ली जो मेने गार्डन

में देखी थी वही निचे बैठी मुझे देख रही थी।  मै उछल कर

पलंग से उतरा और बाहर भागा, बाहर आते वक़्त मेने दरवाजा

बंद कर लिया था।  बाहर जाकर माँ को बताया, मेरा डरा हुवा

चेहरा देखकर वो भी घबरा गयी।  फिर हम वापस मेरे कमरे

में आये और पूरा कमरा तलाश किया लेकिन कही कोई

बिल्ली नजर नहीं आयी।  कमरे की एक ही खिड़की थी वो भी

बंद थी।  कमरे से बाहर निकलने का कोई और रास्ता भी

नहीं था। माँ मेरी बात का यकीं ही नहीं कर रही थी।  हम

बात कर ही रहे थे के एक फुटबॉल ऊपर के हिस्से से सीढ़ियों

से लुढ़कते हुवे निचे आयी और ऊपर से बच्चो की जोर जोर

से हसने की आवाजे आने लगी।  बस यहाँ से हमारी हिम्मत

टूटने लगी।  अब ये चीज़े सामने आने लगी थी।  अब तो

जानी नुकसान होने का भी डर था।  

      मेरे पिताजी के एक दोस्त थे जो जिन्न भूतो का इलाज करना जानते थे। पिताजी ने उन्हें कॉल करके सारी बात बताई।  अगले दिन वो चाचा घर आये हमने उन्हें सारे किस्से बताये और बाहर का जला हुआ गार्डन भी दिखाया। चाचा ने हमसे कुछ मोमबत्ती और सफ़ेद पाउडर माँगा जो हमने उन्हें दिया।  वो घर के  बिच में मोमबत्तिया जला कर

उन के बिच में बैठ गए और हम सबको बाहर जाने का इशारा

किया और कहा जबतक मै ना कहु तबतक अंदर ना आये।

हम सब बाहर गये।  थोड़ी देर बाद चाचा की किसीसे बात

करने की आवाजे आने लगी।  वो किसीसे सवाल कर रहे थे

और कोई जवाब भी दे रहा था लेकिन वो समझ में नहीं आ

रहा था। कभी किसी औरत की आवाज आती, कभी मर्द की तो

कभी बच्चो के बोलने की आवाजे आती।  १ घंटे तक ये

सिलसिला चलता रहा।  १ घंटे बाद चाचा घर से बाहर आये

और मुझसे पूछा के तुमने यहाँ कोई पेड़ काटा था? तो मेने

कहा के हां मेने एक पेड़ काटा था जो पूरा सूखा हुआ था।

तब चाचा ने बताया " उस पेड़ पर जिन्नात की पूरा परिवार

कई सौ सालो से रहता था । तुमने वो पेड़ काटकर उनका घर

उजाड़ दिया जिसके वजह से वो जिन्नात बहोत गुस्से में है

और तुमसे बदला लेना चाहते है।  और तुम्हे इस घर में नहीं

रहने देंगे।  पिताजी ने चाचा से पूछा के तुम उन्हें यहाँ से

निकाल नहीं सकते? तो चाचा ने कहा के पहले तो तुमने

उनका घर तोड़ दिया अब अगर हम उन्हें यहाँ से निकालने

की कोशिश करेंगे तो हो सकता है के कोई जानी नुकसान भी

हो सकता है क्यू के ये जिन्नात बहोत ताकतवर है।  और

गलती भी हमारी है।  चाचा ने कहा के जितना जल्दी हो सके

इस घर छोड़ के चले जाओ।  इतना कहकर चाचा चले गए। 

उनके जाने के बाद मै बाहर गार्ड के पास जाकर बैठ गया

और अपना दिल हल्का करने के लिए उसको सारी बात बता

दी।  तो गार्ड कहने लगा के वो चाचा ठीक कह रहे है, फिर वो

बताने लगा के यहाँ पेड़ो को काटने पर पाबन्दी है , यहाँ बहोत

पुराने पुराने घने पेड़ है, माना जाता है के इन पेड़ो पर

जिन्नात, भूत रहते है।  इसलिए यहाँ की सरकार ने पेड़ो के

काटने पर पाबन्दी लगा रखी है।  यहाँ एक ऐसा पुराना पेड़ है

जो रास्ते के बीचोबिच है, सरकार ने उस पेड़ को काटने के

बजाये उस पेड़ के दूसरी तरफ से रास्ता बनाया है।  ऐसे यहाँ

बहोत से प्लॉट है जहा पर बड़े पुराने और घने पेड़ मौजूद है।

पहले तो मुझे गार्ड की बातो पे यकीन नहीं आया।  लेकिन

मेने जब खुद उस रस्ते पर जाकर देखा तो सच में वहां ऐसा

पेड़ मौजूद था।  खैर हमने वो हमारा घर छोड़ दिया और शहर

में दूसरे घर में आ गए। 

अब पता नहीं उस घर का क्या हुआ।  फिर हम वहां कभी

नहीं गये।"

 

           तो दोस्तों ये थी आजकी एक

पुराने भूतिया पेड़ की खौफनाक कहानी।  जिससे ये भी

सिखने मिला के पेड़ो को बेवजह तोडना नहीं चाहिए इसलिए

नहीं के उनपर जिन्न भूत रहते है बल्कि इसलिए के पेड़ो की

वजह से हमारे पर्यावरण का संतुलन बना रहता है, पेड़ो की

वजह से हमें ऑक्सीजन मिलता है, गर्मी में ठंडी छाव भी

मिलती है, खाने को फल भी इन्ही पेड़ो से मिलते है।  तो नए

पेड़ो को लगाने का भी संकल्प करे और पर्यावरण को बचाये। 

उम्मीद है आपको कहानी पसंद आयी होगी।  फिर मिलते है

किसी नयी डरावनी कहानी में।  तब तक के लिए अपना

बहोत सा ख्याल रखियेग। 

 

आपका बहोत शुक्रिया

धन्यवाद

अलविदा। 

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